Sonia Jadhav

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लेखनी डायरी- 22-12-2021 मई

22/12/2021- मई- मायका


कुछ साल पहले सर्दियों में काफी बीमार थी मैं , ऐसे में मेरी माँ , मेरी देखभाल के लिए मेरे घर आयीं थी , कुछ दिन साथ रहने। मेरे ठीक होने के बाद वो जब वापिस गयीं तो उनका शॉल मेरे घर छूट गया। 

माँ के जाने से पूरा घर खाली-खाली हो गया था और मैं बेचैन महसूस कर रही थी खुद को।  देखा तो सोफे के कोने में माँ का शॉल पड़ा था। मैंने वो शॉल ओढ़ लिया और आँख बंद कर लेट गयी। अचानक से मन की सारी उथल-पुथल ख़त्म हो गयी, उस शॉल मे मुझे मेरी माँ की गरमाहट महसूस हुई, एक अलग तरह का सुकून था ।

जितना आराम मुझे मेरी माँ के सीने से लगकर मिलता था, उतना ही उस शॉल को ओढ़कर मिल रहा था। बड़ा सस्ता सा शॉल था वो, शादी से पहले कभी अच्छा नहीं लगा था।

वही शॉल मेरे लिए अब बड़ा अनमोल है, जुबान पर मिश्री सी घुल जाती है जब कहती हूँ सबको ..." ये मेरी माँ का शॉल है।"

ऐसा ही होता है मायके का मोह, जो कभी लड़की के दिल से छूटता नहीं।
माता पिता के जाने के बाद चाहे भाई पूछे न पूछे, फिर भी मायके का मोह छूटता नहीं।

उपहार का लालच नहीं होता लड़की को मायके से।
पर अच्छा लगता है, जब मायके से कोई भेंट आती है। गर्व से फ़ूल जाता है उसका सीना, मुस्कुराकर बार बार कहती है सबको..... " यह भेंट मेरे मायके से आयी है।"

मायके से उपहार या किसी अपने का मिलने आना याद दिलाता है लड़की को , कि उसके विवाह के बाद भी उसके घरवालों को आज भी उसकी परवाह है। वो अकेली नहीं उसका मायका सदा उसके साथ है।

❤सोनिया जाधव
# डायरी

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1 Comments

🤫

23-Dec-2021 07:54 PM

सही कहा आपने , सोनिया जी कुछ चीजे अनमोल होती हैं।

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